एक लड़की ने आंख क्या मारी
पूरा देश मानो उसका दीवाना हो गया | अपने को जिम्मेदार चौथा खंभा कहने वाले भारतीय
मीडिया को तो मानो मन मांगी मुराद मिल गई हो | वह आंख मारने के तौर तरीकों, किस्मों
और उसके विशेष प्रभावों पर चौपाल लगाने लगा | बड़े बड़े मुद्दे पीछे छूट गए | यहां तक
की सीमा पर रोज-ब-रोज शहीद होते जवानों और उसके बीच पाकिस्तान की गीदड़ भभकी , यह सब कहीं
भुला दिये गए | सबसे महत्वपूर्ण खबर बन गई प्रिया प्रकाश नाम की लड़की
का आंख मारना |
प्रिंट मीडिया भी कहीं पीछे नही दिखा | शायद ही
कोई अखबार रहा हो जिसमे उसकी फोटो न छपी हो | यही नही, सोशल मीडिया ने तो वह धूम मचा दी की पूरा फेसबुक, टिवटर
और वाटसएप प्रिया प्रकाश के ही रंग मे सराबोर हो गया |परिणामस्वरूप
एक लड़की जिसे कोई ठीक से जानता तक नही था , कुछ ही घंटों मे सेलीब्रेटी बन गई | उसकी
थर्ड ग्रेड दक्षिण भारतीय फिल्मों के
वितरण के लिए होड सी मचने लगी |
निर्माता उसके घर के चक्कर लगाने लगे | उसे स्कूल
मे पढ़ाने वाले टीचर तक उसके गुरू होने पर गर्व करते हुए इंटरव्यू देने लगे | देश भर
मे उसकी हम उम्र की लड़कियां उसके भाग्य से
ईषर्या करने लगीं |
ऐसा पहली बार नही हुआ | ‘ कोलावरी डी ‘ गाने से लेकर ‘ बेवफा सोनम गुप्ता ‘ तक की यही कहानी है | लेकिन
जब ऐसी बातों से रातों रात स्टार बनने के लिए देश भर मे लड़कियां ऊंटपटांग हरकते
करने लगेंगी , तब यही प्रिंट , इलेक्ट्रानिक और सोशल
मीडिया गहरी चिता जताने लगेगा और उसे सांस्क्र्र्तिक प्रदूषण का नाम भी देगा | सारा
दोष लड़कियों पर मढ़ते हुए यह भूल जाएगा की
आखिर ऐसे मामलों मे उसने किस ज़िम्मेदारी का परिचय दिया है और कैसी भूमिका निभाई | सच कहा
जाये तो सोशल मीडिया सहित प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया का यह चरित्र जाने- अनजाने
बेहूदेपन को ही बढ़ावा दे रहा है | इसे महसूस किया जाना चाहिए |
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